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अभिषेक का अर्थ है स्नान करना। और रुद्राभिषेक (Rudrabhishek) का अर्थ है भगवान रुद्र का अभिषेक करना। इस पूजा में महादेव के रुद्ररूप को यह स्नान कराया जाता है। , हिन्दू धर्म में रुद्राभिषेक (Rudrabhishek) भगवान शिव की पूजा का एक विशेष रूप है जो उनके प्रभावशाली और रूद्र रूप की आराधना करने के लिए की जाती है। वैसे भी भगवान शिव को अपनी जटा में गंगा रखने से जलधाराप्रिय माना जाता है।
इस पूजा के माध्यम से भक्त भगवान शिव की कृपा और आशीर्वाद को प्राप्त करने का प्रयास करते हैं और उनसे उनकी रक्षा की प्रार्थना करते हैं। वैसे तो अभिषेक के कई रूप हैं। पर शिवजी को प्रसन्न करने का सबसे अच्छा उपाय है रुद्राभिषेक करना, यह रुद्राभिषेक हमेशा उच्च श्रेष्ठ ब्राह्मण विद्वानों से कराना ही करना चाहिए ताकि काम से काम त्रुटि की संभावना हो और मंत्रो का सही उच्चारण हो , जिससे की आपको अत्यधिक लाभ मिल सके ।
क्यों करे रुद्राभिषेक ?
Rudrabhishek करने का कारण भगवान शिव की आराधना और उनकी कृपा एवं आशीर्वाद की प्राप्ति है। इस पूजा को शिव के प्रति भक्ति और आत्म-समर्पण का प्रतीक माना जाता है , रुद्राभिषेक के द्वारा भक्त अपनी आत्मिक शुद्धि का प्रयास करते हैं। यह पूजा मानव जीवन को धार्मिक मार्ग पर चलने में सहायक होती है और आत्मा के साथ सामंजस्य बनाए रखने में मदद करती है।
रुद्राभिषेक का आयोजन भक्त को आत्मिक शांति और मानसिक स्थिरता की प्राप्ति में मदद करता है। यह पूजा ध्यान, धारणा, और साधना के माध्यम से मानव जीवन को आत्मिक विकास की दिशा में प्रेरित करती है , वैसे तो जितने भी कारन बताये जाये वो काम है शिव की भक्ति में ,
पर सोमवार , शिवरात्रि , सावन या नागपंचमी पैर इसे करे का खास महत्व बताया गया है , या यही आपकी किसी प्रसिद्ध मंदिर या ज्योतिर्लिंग पैर कर रहे तो कभी भी कर सकते है , कैसी भी स्तिथि हो , मन शांत हो या आप किसी दुविधा में हो इसे करने मात्र से ही आपमें ऊर्जा और सकारात्मकता का भाव आता है।
रुद्राभिषेक कैसे और किस से करे ?
आप अपनी श्रद्धा और समर्थता को देखते हुए , इनमे से किसी से भी रुद्राभिषेक कर सकते है – जल , दूध , गन्ने का रास, गंगाजल , दही , पंचामृत , घी , शहद , ताजे फलो का रस इत्यादि। हलाकि रुद्राभिषेक कई भक्त जान किसी विशेष मनोकामना की पूर्ति के लिए करते है , इसमें किस विशेष से आपको रुद्राभिषेक करना है इसका परामर्श और तिथि आप किसी विद्वान से ही ले , ताकि आपको इसका लाभ मिल सके।
कुछ खाश लाभ के लिए इनसे करे रुद्राभिषेक Rudrabhishek
दही से रुद्राभिषेक करके कलह-कलेश दूर करें।
उत्तम स्वास्थ्य के लिए भांग से रुद्राभिषेक करें।
घी की धारा से रुद्राभिषेक करने से वंश बढ़ता है।
ग्रह दोष दूर करने के लिए गंगाजल से रुद्राभिषेक करें।
धन और संपत्ति की प्राप्ति के लिए गन्ने के रस और दूध से रुद्राभिषेक।
शिक्षा में सफलता के लिए शहद से मंत्र
दुश्मनों को हराने के लिए भस्म की पूजा करें।
रुद्राभिषेक मंत्र Rudrabhishek mantra
Rudrabhishek करने का कोई एक मंत्र नहीं बल्कि कई मंत्रो का समूह है , जो की ‘शुक्लयजुर्वेदीय रुद्राष्टाध्यायी’ के रूप में भी जाना जाता है। इसे केवल ‘रुद्राष्टाध्यायी‘ भी कहते हैं या “रुद्री पाठ” के नाम से भी जाना जाता है , Rudrabhishek इतना शक्तिशाली मंत्र होता है ही इससे करने मात्र से ही आपके आस पास की नकारात्मक ऊर्जा दूर हो जाती है।
सर्वदेवात्मको रुद्र: सर्वे देवा: शिवात्मका:।
रुद्रात्प्रवर्तते बीजं बीजयोनिर्जनार्दन:।।
यो रुद्र: स स्वयं ब्रह्मा यो ब्रह्मा स हुताशन:।
ब्रह्मविष्णुमयो रुद्र अग्नीषोमात्मकं जगत्।।
अर्थात भगवान शिव ही ब्रह्मा तथा विष्णु हैं , और सभी देवता भगवन रुद्र के ही अंश हैं। इस जगत में सभी कुछ रुद्र से ही जन्मा है । यह सिद्ध करता है की रूद्र ही ब्रह्म हैं और वही स्वयंभू भी हैं।
यश्च सागरपर्यन्तां सशैलवनकाननाम्।
सर्वान्नात्मगुणोपेतां सुवृक्षजलशोभिताम्।।
दद्यात् कांचनसंयुक्तां भूमिं चौषधिसंयुताम्।
तस्मादप्यधिकं तस्य सकृद्रुद्रजपाद्भवेत्।।
यश्च रुद्रांजपेन्नित्यं ध्यायमानो महेश्वरम्।
स तेनैव च देहेन रुद्र: संजायते ध्रुवम्।।
यदि कोई जीव सागर तक, वन, पर्वत, जल, वृक्षों और धन-धान्य से भरी पृथ्वी का दान करता है, तो उसके दान से मिलने वाले पुण्य से एक बार के रुद्री जप से कहीं अधिक होगा। यही कारण है कि जो भी व्यक्ति भगवान शिव का ध्यान करके रुद्री पाठ करता है और रुद्राभिषेक मंत्र से उसे मनाता है, वह निश्चित रूप से भगवान शिव का स्वरूप ही होता है।
शुक्लयजुर्वेदीय रुद्राष्टाध्यायी के सभी मुख्य आठों अध्यायों में दिए गए मन्त्रों से रुद्राभिषेक किया जाता है, लेकिन आवश्यक होने पर या आसान तरीके से रुद्राभिषेक करना चाहते हैं तो आप निम्लिखिन रुद्राभिषेक मंत्र से रुद्राभिषेक कर सकते हैं:
ॐ नम: शम्भवाय च मयोभवाय च नम: शंकराय च
मयस्कराय च नम: शिवाय च शिवतराय च ॥
ईशानः सर्वविद्यानामीश्व रः सर्वभूतानां ब्रह्माधिपतिर्ब्रह्मणोऽधिपति
ब्रह्मा शिवो मे अस्तु सदाशिवोय् ॥
तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि। तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्॥
अघोरेभ्योथघोरेभ्यो घोरघोरतरेभ्यः सर्वेभ्यः सर्व सर्वेभ्यो नमस्ते अस्तु रुद्ररुपेभ्यः ॥
वामदेवाय नमो ज्येष्ठारय नमः श्रेष्ठारय नमो
रुद्राय नमः कालाय नम: कलविकरणाय नमो बलविकरणाय नमः
बलाय नमो बलप्रमथनाथाय नमः सर्वभूतदमनाय नमो मनोन्मनाय नमः ॥
सद्योजातं प्रपद्यामि सद्योजाताय वै नमो नमः ।
भवे भवे नाति भवे भवस्व मां भवोद्भवाय नमः ॥
नम: सायं नम: प्रातर्नमो रात्र्या नमो दिवा ।
भवाय च शर्वाय चाभाभ्यामकरं नम: ॥
यस्य नि:श्र्वसितं वेदा यो वेदेभ्योsखिलं जगत् ।
निर्ममे तमहं वन्दे विद्यातीर्थ महेश्वरम् ॥
त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिबर्धनम् उर्वारूकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मा मृतात् ॥
सर्वो वै रुद्रास्तस्मै रुद्राय नमो अस्तु । पुरुषो वै रुद्र: सन्महो नमो नम: ॥
विश्वा भूतं भुवनं चित्रं बहुधा जातं जायामानं च यत् । सर्वो ह्येष रुद्रस्तस्मै रुद्राय नमो अस्तु ॥
Rudrabhishek रुद्राभिषेक की विधि
Rudrabhishek करने के लिए शिवलिंग को उत्तर दिशा में रखना चाहिए, जबकि आपका मुख पूर्व की ओर होना चाहिए। श्रृंगी में गंगाजल डालकर अभिषेक करें। फिर शिवलिंग को गन्ने का रस, शहद, दही, दूध, जल, पंचामृत और अन्य तरल पदार्थों से अभिषेक करें।
Rudrabhishek करते समय महामृत्युंजय मंत्र का उच्चारण करना चाहिए: “ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।” उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्युर्मुक्षीय मामृतात्॥”जाप करते रहें।”
शिवलिंग पर चंदन का लेप लगाएं, बेलपत्र, सुपारी, पान पत्ता और दूध चढ़ाएं। शिवलिंग के आसपास दीपक जलाएं।
अब 108 बार शिव मंत्र का जाप करें और परिवार के साथ आरती करें।
Rudrabhishek जल को एक पात्र में मिलाकर पूरे घर में छिड़क दें। इस जल को अर्पित करें। इससे बीमारी दूर होती है।