Guruvar Vrat Katha – हमारे सनातन धर्म में व्रतों का अत्यधिक महत्व है, और इनमें से गुरुवार व्रत को विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है।
गुरुवार को बृहस्पतिवार भी कहा जाता है और इस दिन भगवान विष्णु जी का व्रत करना विशेष लाभदायक होता है। इस व्रत को करने से भक्त अपने जीवन में सुख-शांति एवं समृद्धि की प्राप्ति कर सकता है। इस ब्लॉग में हम गुरुवार व्रत कथा, विधि, कथा और लाभ के बारे में विस्तार से जानेंगे।
Table of Contents
1-गुरुवार व्रत विधि Guruvar Vrat Katha
संकल्प:
गुरुवार व्रत की शुरुवात संकल्प से होती है। भक्त को इसे व्रत करने का संकल्प लेना चाहिए और भगवान विष्णु की पूजा करने का निर्णय करना चाहिए।
उपवास:
गुरुवार को भक्त को उपवास रखना चाहिए। इस दिन व्रती को एक महत्वपूर्ण भोजन मित्र के साथ साझा करना चाहिए।
पूजा:
भक्तो को गुरुवार को भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए। इसमें तुलसी के पत्ते, फूल, और गुड़ का प्रयोग करके पूजा की जाती है। व्रती को सायंकाल को भगवान विष्णु की आरती करनी चाहिए। इसमें भक्ति और प्रेम के साथ आरती उत्साह से करनी चाहिए।
कथा
व्रती को गुरुवार व्रत कथा सुननी चाहिए। इससे उसकी श्रद्धा मजबूत होती है और भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
दान-धर्म:
गुरुवार को व्रती को दान करना चाहिए, जैसे कि अनाज, धन, वस्त्र, और अन्य आवश्यक वस्त्र आदि
2-गुरुवार व्रत के लाभ:
धन समृद्धि:
गुरुवार व्रत का पालन करने से व्यक्ति को धन की प्राप्ति होती है और उसका आर्थिक स्थिति मजबूत होती है।
सुख-शांति:
गुरुवार व्रत से व्यक्ति को जीवन में सुख-शांति मिलती है और वह सारे दुखों से मुक्त होता है।
विद्या का प्राप्ति:
इस व्रत से विद्या की प्राप्ति होती है और व्यक्ति अपनी शिक्षा में प्रगट होता है।
परिवार का सुख:
गुरुवार व्रत का पालन करने से परिवार के सदस्यों को भी सुख-शांति की प्राप्ति होती है।
समृद्धि:
इस व्रत से व्यक्ति की आर्थिक स्थिति में समृद्धि होती है और उसे लाभ होता है।
3-Guruvar Vrat Katha (गुरुवार व्रत कथा)
Guruvar Vrat Katha – प्राचीन काल में, एक गाँव में एक ब्राह्मण रहता था , और वो बहुत ही भक्तिभाव से भरा हुआ था। उसका नाम ब्रह्मदत था और वह अपने निर्बल परिवार के साथ एक सुखी जीवन बिताने का प्रयास कर रहा था। ब्रह्मदत ने सब कुछ हासिल करने के लिए ब्रह्मा, विष्णु, और महेश्वर की पूजा करना शुरू किया था, लेकिन उसे अधिकाधिक समस्याएँ आ रही थीं। वह अपने गुरु से मिलकर उनसे सलाह लेने का निर्णय किया।
एक दिन, ब्रह्मदत ने अपने गुरु से मिलकर अपनी समस्याओं को बताया और उसने परामर्श माँगा । गुरु जी ने उसे बताया कि वह गुरुवार के दिन भगवान विष्णु का व्रत करना शुरू करे और सच्ची भक्ति और श्रद्धा के साथ व्रत करे , ऐसा करने से उसकी समस्याएँ हल हो जाएंगी। गुरुवार को भगवान विष्णु की पूजा करने से वह धन, समृद्धि, और सुख-शांति की प्राप्ति कर सकेगा।
इन सब के बाद ब्रह्मदत ने गुरु की बात को मानते हुए गुरुवार के दिन से ही विष्णु भगवन गुरुवार व्रत का आरंभ किया। वह नियमित रूप से पूजा अर्चना करता और भक्तिभाव से व्रत रखता था । समय के साथ ही उसका जीवन परिवार के साथ सुखमय और समृद्धिपूर्ण हो गया।
एक दिन, जब ब्रह्मदत गुरुवार को विष्णु जी का व्रत कर रहा था, तभी भगवान विष्णु ने अपने स्वयं से उसके सामने प्रकट होकर कहा, “ब्रह्मदत, मैं तुझे अपना भक्त मानता हूँ और तुझसे संतुष्ट हूँ। तू मेरा व्रत सच्ची भक्ति से कर रहा है, इसलिए मैं तुझे तीन वरदान देने को तैयार हूँ।”
भगवान विष्णु ने ब्रह्मदत को तीन वरदान दिए: पहला वरदान था धन समृद्धि, दूसरा वरदान था सुख-शांति, और तीसरा वरदान था विद्या का प्राप्ति। ब्रह्मदत ने भगवान का कृपान्तर से प्राप्त किया हुआ यह वरदानों से अपने जीवन में सफलता की ऊँचाइयों तक पहुँचाया।
इस कथा का अगर सार या अर्थ निकले तो वो यह होगा की गुरुवार को भगवान विष्णु का व्रत करना वास्तविकता में बड़े ही शुभ और सान्त्वना की बात है । भक्ति और श्रद्धा के साथ इस व्रत का पालन करने से व्यक्ति को धन, समृद्धि, और सुख-शांति की प्राप्ति होती है। गुरुवार व्रत कथा ने हमें यह सिखाया है कि भगवान की भक्ति में लगे रहने से ही हम अपने जीवन में समृद्धि और सुख की प्राप्ति कर सकते हैं।
4-आरती वृहस्पति देवता की
जय वृहस्पति देवा, ऊँ जय वृहस्पति देवा ।
छिन छिन भोग लगाऊँ, कदली फल मेवा ॥
तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी ।
जगतपिता जगदीश्वर, तुम सबके स्वामी ॥
चरणामृत निज निर्मल, सब पातक हर्ता ।
सकल मनोरथ दायक, कृपा करो भर्ता ॥
तन, मन, धन अर्पण कर, जो जन शरण पड़े ।
प्रभु प्रकट तब होकर, आकर द्घार खड़े ॥
दीनदयाल दयानिधि, भक्तन हितकारी ।
पाप दोष सब हर्ता, भव बंधन हारी ॥
सकल मनोरथ दायक, सब संशय हारो ।
विषय विकार मिटाओ, संतन सुखकारी ॥
जो कोई आरती तेरी, प्रेम सहित गावे ।
जेठानन्द आनन्दकर, सो निश्चय पावे ॥
सब बोलो विष्णु भगवान की जय ।
बोलो वृहस्पतिदेव भगवान की जय ॥’
5-भगवान विष्णु की आरती
ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे।
भक्तजनों के संकट क्षण में दूर करे॥
जो ध्यावै फल पावै, दुख बिनसे मन का।
सुख-संपत्ति घर आवै, कष्ट मिटे तन का॥ ॐ जय…॥
मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूं किसकी।
तुम बिन और न दूजा, आस करूं जिसकी॥ ॐ जय…॥
तुम पूरन परमात्मा, तुम अंतरयामी॥
पारब्रह्म परेमश्वर, तुम सबके स्वामी॥ ॐ जय…॥
तुम करुणा के सागर तुम पालनकर्ता।
मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥ ॐ जय…॥
तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।
किस विधि मिलूं दयामय! तुमको मैं कुमति॥ ॐ जय…॥
दीनबंधु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे।
अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा तेरे॥ ॐ जय…॥
विषय विकार मिटाओ, पाप हरो देवा।
श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ, संतन की सेवा॥ ॐ जय…॥
तन-मन-धन और संपत्ति, सब कुछ है तेरा।
तेरा तुझको अर्पण क्या लागे मेरा॥ ॐ जय…॥
जगदीश्वरजी की आरती जो कोई नर गावे।
कहत शिवानंद स्वामी, मनवांछित फल पावे॥ ॐ जय…॥
Guruvar Vrat Katha गुरुवार व्रत का पालन करने से व्यक्ति न केवल आत्मा की शुद्धि करता है, बल्कि उसका जीवन भी सुखमय और समृद्धिपूर्ण होता है। यह व्रत भगवान विष्णु की कृपा को प्राप्त करने का एक अद्वितीय और सरल तरीका है। इसलिए, गुरुवार व्रत को आचार्य महाराजों ने सदाचार से सम्बोधित किया है और इसका पालन करने का सुझाव दिया है। with Guruvar Vrat Katha also find Aarti